कब तक होगा सबसे पहले काम?
आज के दौर में बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपनी परेशानियों में उलझे हुए हैं। वे हर रोज़ ये सवाल करते हैं – "आख़िर मेरा काम कब बनेगा?", "मेरी मुश्किलें कब खत्म होंगी?", "मेरे अच्छे दिन कब आएंगे?"। जब इंसान परेशानियों से घिर जाता है, तब उसके दिल से यही आवाज़ निकलती है कि कोई रास्ता दिखाए, कोई सहारा बने। इस हाल में इंसान ऊपर वाले की ओर देखता है, दुआ करता है और उम्मीद करता है कि अल्लाह तआला उसकी दुआ को कबूल करेगा और उसकी हालत को बेहतर बनाएगा।
अल्लाह पर यकीन और उससे उम्मीद रखना ही इंसान की सबसे बड़ी ताकत है। जब हालात साथ नहीं देते, जब अपने भी पराये लगने लगते हैं, तब सिर्फ अल्लाह ही होता है जो हर वक्त हमारे साथ होता है। कुरान में भी आता है कि “बेशक मुश्किल के साथ आसानी है”। इंसान को चाहिए कि वो सब्र करे, दुआ करे और हर हाल में अल्लाह पर भरोसा रखे। क्योंकि हर तकलीफ के पीछे कोई हिकमत होती है। अल्लाह कभी किसी को यूं ही तकलीफ नहीं देता, बल्कि वो चाहता है कि इंसान और मजबूत बने, और वो मंजिल पाए जो उसके लिए बेहतर हो।
जब इंसान मुश्किल में होता है तो उसके ज़हन में हजारों सवाल आते हैं – "मैं ही क्यों?", "मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है?", "कोई मेरी मदद क्यों नहीं करता?"। लेकिन हकीकत ये है कि जब सब दूर हो जाते हैं, तब सिर्फ अल्लाह रह जाता है। और वही हमें संभालता है, हमारे टूटे हुए दिल को जोड़ता है और हमारी दुआ को सुनता है। ऐसे वक़्त में इंसान को चाहिए कि वो अपने रब को पुकारे, उसे याद करे और सच्चे दिल से उसकी तरफ लौटे।
ऐसी ही एक खास दुआ है जिसे मुसीबत के वक़्त पढ़ा जाता है:
"ला इलाहा इल्ला अंता, सुभानका इन्नी कुन्तु मिनज़्ज़ालिमीन"
यह दुआ हज़रत यूनुस अ.स. ने उस वक्त पढ़ी जब वे मछली के पेट में थे। अगर उन्होंने यह दुआ ना पढ़ी होती, तो शायद वे वहीं रह जाते। इस दुआ की ताकत से वे न सिर्फ मछली के पेट से बाहर निकले, बल्कि उनकी जान भी बची और अल्लाह ने उन्हें महफूज रखा।
अगर आप भी किसी परेशानी में हैं, और काम बनते-बनते रुक जाता है, तो इस दुआ को रात 8 या 10 बजे, एक शांत और अंधेरी जगह पर 500 बार सच्चे दिल से पढ़ें। अल्लाह से उम्मीद रखें। इनशा अल्लाह, एक हफ्ते के अंदर आप खुद देखेंगे कि मुश्किलें आसान हो रही हैं और रास्ते खुलने लगे हैं।
याद रखें, बेहतर करने वाला सिर्फ अल्लाह है। हमारी दुआ, हमारा सब्र और हमारा यकीन ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। हर मुसीबत के बाद राहत है – बस भरोसा बनाए रखें और दुआ करते रहें। यही असली कामयाबी की राह है।